Friday, 15 February 2013

Yaa Kundendu tushaara haara-dhavalaa, Yaa shubhra-vastra'avritaa Yaa veena-vara-danda-manditakara, Yaa shweta padma'asana Yaa brahma'achyuta shankara prabhritibhir Devai-sadaa Vanditaa Saa Maam Paatu Saraswati Bhagavatee Nihshesha jaadya'apahaa. Shuklaam Brahmavichaara Saara paramaam Aadhyaam Jagadvyapinim, Veena Pustaka Dhaarineem Abhayadaam Jaadya'andhakaara'apahaam Haste Sphaatika Maalikam Vidadhateem Padmasane Sansthitaam Vande taam Parmeshwareem Bhagavateem Buddhipradaam Shardam.


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खड़गपुर की पहाडि़यों पर स्थित यह तीर्थस्‍थल काफी मशहूर है। यह मुंगेर से २३कि॰मी॰ दक्षिण-पुर्व में लौवागढ़ी-पाटम पथ में उमीवनवर्षा के समीप स्थित है। इस स्‍थान का नाम प्रसिद्ध ऋषि श्रृंग के नाम पर रखा गया है। यहां मलमास के शुभ अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। पर्यटकों के बीच यहां का गर्म झरना आकर्षण के केंद्र बिंदू में रहता है। ठंड के मौसम में इस झरने का पानी हल्‍का गर्म हो जाता है जिसमें स्‍नान करने के लिए दूर दराज से पर्यटक आते हैं। यहीं पर एक डैम का निर्माण भी किया गया है जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाता है। यहां स्थित कुंड जिसको लोग ऋषिकुंड के नाम से जानते हैं, के बारे में कहा जाता है कि व्‍यक्ति चाहे लंबा हो या छोटा पानी उसके कमर के आसपास तक ही होता है। यहीं भगवान शिव को समर्पित एक बहुत प्राचीन मंदिर है जो भक्‍तों के बीच काफी लोकप्रिय है। इसके अलावा चण्‍डी स्‍थान, मुल्‍ला मोहम्‍मद सईद का मकबरा, खड़गपुर झील, रामेश्‍वर कुंड, पीर पहाड़, हा-हा पंच कुमारी, उरेन, बहादूरीया-भूर, भीमबांध आदि-आदि भी देखने लायक जगह है।